Saturday, 27 May 2017

                                                            हमारा बचपन


*Please read*
😢  *very touching* 👇
जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था...

जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !!

जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी...
आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की  जल्दी  रहती  है... !!
कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था...
आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!!
स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे,  आज उनको  ही  इंटरनेट  पे  तलाशते  है... !!
ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है...
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है...
काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..
.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक बार...!!
👘 जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|🌀🌀
✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी के बटन को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे |❤💚💙💜
👻 जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..👥
👀जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
🚲सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैं |🌙🚲
🔦💡On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |
🍏🍎🍉🍑🍈 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
🍰🎂🍧🏆🎉🎁 बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
🔆फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने की कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |
🎭  सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?
और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡
🎒🎐ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो💕
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....☔
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी.. 🌊🌊🌊
..............
एक बात बोलु
इनकार मत करना
ये *msg* जीतने मरजी लोगों को *send* करो
जो इस *msg* को पढेगा
उसको उसका बचपन जरुर याद आयेगा.
क्या पता वो आपकी वजह से अपने बचपनमें चला जाए. चाहे कुछ देर के लीए ही सही।
और ये आपकी तरफ से   उसको सबसे अच्छा गिफ्ट होगा.
*So do it.....*😊
*Special Doston Ko Snd Kro*

Tuesday, 23 May 2017

कहानी एक राजपूत सरदार री

(इस मार्मिक गाथा को हर राजपूत शेयर करे )

गोडवाड के किसी गाँव का गरीब मेड़तिया राठौर नौजवान पर आज वज्र टूट पड़ा जब सुसराल से पत्र आया की एक हज़ार रूपए ले कर जेष्ठ सुक्ल दूज को लग्न करने आ जाना, यदि रूपए नहीं लाये और निश्चित तिथि को नहीं पहुचे तो कन्या को किसी और योग्य वर से विवाह करा दिया जायेगा,
कोई रास्ता ना देख पाली के बनिए के पास गया और मदद मांगी, बनिए ने पुछा “कुछ है गिरवी रखने को “ वो ठेरा गरीब राजपूत कहा से लाता,
बनिए ने कागज़ में कुछ लिखा “लो भाई,इस पर हस्ताक्षर कर दो, कागज पढ़ नौजवान के हौश उड़ गए, कागज पर लिखा था “जब तक एक हज़ार रूपए अदा नहीं करू तब तक अपनी पत्नी को माँ –बहन समझुगा ! मरता क्या नहीं  करता अपने कलेजे पर पत्थर रखकर हस्ताक्षर किये और एक हज़ार रूपए अपने साफे में बांध सुसराल चल पड़ा,
जेष्ठ सुक्ल दूज को सूर्यादय के समय नवयुवक अपने सुसराल पहुचा,हज़ार रूपए की थेल्ली अपने ससुर के सामने रखी,धूमधाम से लग्न हुआ, नवयुवक अपनी नयी दुल्हन को बैलगाड़ी पर बिठा कर अपने घर की और चल पड़ा 
बिन सास ससुर, देवर ननद का ये सुनसान झोपड़ा, कोई नयी दुल्हन का स्वागत करने वाला नहीं, नयी दुल्हन ने हाथ में झाड़ू थमा और लगी अपनी नयी दुनिया सवारने, रात्री को नयी दुल्हन ने अपने हाथ से बनाया गरम भोजन अपने स्वामी को जिमाया, पीहर से लाये नरम रुई के गद्दे से सेज सजाई, कोने में तेल का दिया रखा, प्रीतम आया अपनी तलवार मयान से खैच कर,सेज के बीच में रखकर, करवट पलट कर सो गया !!
इस प्रकार एक के बाद एक अनेक राते बीतती गयी, क्षत्रानी  को ये पहेली कुछ समझ नहीं आई, कोई नाराजगी है या मेरी परीक्षा ले रहे है, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उस रात जब ठाकुर घर आया तो हिम्मत कर पूछ ही लिया “ठाकुर आप क्या मेरे पीहर का बदला ले रहे हो ? आखिर क्या है इस तलवार का भेद ??
राजपूत ने बनिए दुअरा लिखा पत्र आगे कर दिया “लो ये खुद ही पढ़ लो” जैसे जैसे क्षत्रानी ने पत्र पढ़ा वैसे वैसे उसकी आँखों में चमक आने लगी बोली वाह रे राजपूत, मेरा तुझ से ब्याहना सफल हो गया, धन्य हो मेरी सास जिसने आप को अपनी कोख से जनम दिया,
ये लो कहते हुए क्षत्रानी ने अपने सुहाग की चूडिया और अपने तन पर पहने गहने उत्तार कर अपने पति के सामने रख दिए,
बस इतना सा सब्र क्षत्रानी राजपूत बोला अपनी स्त्री के गहने से अपना वर्त छोड़ दू, ये नहीं हो सकता 
उतेजित ना हो स्वामी, इस सोने को बेच कर दो बढ़िया घोडिया खरीदो,बढ़िया कपडे सिलवाओ और हथियार लो,
दूसरी घोड़ी किसके लिए और कपडे हथियार किसलिए ??
मेरे लिए, जब में छोटी थी तो मर्दाने वस्त्र पहन कही बार युद्ध में गयी थी,तलवार चलानी भी आती है, हम दोनों मेवाड़ राज्य चलते है ,हम मित्र बन कर राणाजी के यहाँ काम करेगे और पैसे कमा कर बनिए का ऋण उतरेगे !
ठाकुर तो क्षत्रानी का मुह देखता ही रह गया
वेश बदलकर दोनों घुड़सवार मेवाड़ की तरफ निकल पड़े, मेवाड़ पहुच,दरबार में हाज़िर हुए, राणाजी में पुछा “कौन हो ,कहा से आ रहे हो,  हम दोनों मित्र है और मारवाड़ के मेड़तिया राठौर है, आप की सेवा के आये है 
राणाजी ने दोनों को दरबार में नौकरी पर रख लिया,
कुछ दिन बाद राणाजी शिकार पर निकले, दोनों क्षत्रय साथ में, हाथी पर बैठे राणाजी में शेर पर निशाना साधा, निशाना सही नहीं लगा,घायल शेर वापस मुडकर सीधा हाथी के हौदे की और लपका,दुसरे सिपाही समझ पाते उस से पहले ही  क्षत्रानी ने अपने भाले से शेर को बींध डाला,
राणाजी प्रसन्न हो पर उन दोनों को  अपने शयनकक्ष का पहरा देने हेतु नियुक्त कर दिया, 
वक़्त बीतता गया ,सावन का महिना आया , हाथ में नंगी तलवार लिए पहरा देते दोनों राजपूत, 
कड़कड कड़ बिजली क्रोधी, गड गड कर बादल गरजे, हाथ में तलवार लिए पहेरा देती क्षत्रानी अपनी पति को निहार रही है, विरह की वेदना झेल रही क्षत्रानी के मुह से अनायास मुह से दोहा निकल गया
देश वीजा,पियु परदेशा ,पियु बंधवा रे वेश !
जे दी जासा देश में, (तौदी) बांधवापियु करेश !
महारानी झरोखी में बैठी सुन रही थी ,
सुबह हुई, महारानी के दिल में बात समां नहीं रही थी उसने राणाजी से कहा इन राजपूत पहरियो में कोई भेद है, रात ये बिछुड़ने  की बात कर रहे थे हो ना हो इन में से एक पुरुष है और एक स्त्री है,
राणाजी को विश्वास नहीं हुआ,ये बहादुरी और वो भी स्त्री की ?
परीक्षा कर लो पता चल जायेगा !!
राणाजी ने दोनों को रानीवास में अन्दर बुलाया, महारानी ने दूध मंगवा कर आंगन के चुल्ले पर रख दिया और गर्म होने दिया,दूध में उफान आते ही क्षत्रानी चिल्ला पड़ी “अरे अरे दूध ..!!
ठाकुर ने अपनी कोहनी मार कर चेताया पर देर हो चुकी थी !
महारानी ने मुस्कुराते हुआ पुछा “बेटा ,तुम कौन हो, सच्ची बात बताओ तुम्हारे सभी गुनाह माफ़ है  गदगद कंठ से राजपूत ने सारी बात विस्तार से बताई .
वाह राजपूत वाह ! तुम धन्य हो ! आज से तुम मेरे बेटे-बेटी ,तुम यही रहो तुम्हरे रहने का बंदोबस्त महल में करवा देता हु ,बनिए के कर्ज के पैसे में अपने आदमियों से भिजवा देता हु 
महारानी अन्दर से बढ़िया पौशाक व् गहने लाकर क्षत्रानी को दिए !
दोनों की आँखों में कृत्यगता के आसू थे, हाथ जोड़ कर बोले “हजुर हम अपने हाथो से बनिए का कर्ज चूका कर हमारे लिखे दस्तावेज अपनी हाथो से फाड़े तभी हमारा वर्त छूटेगा 
राणाजी ने श्रृंगार की हुई  बैलगाडी से ,खुद सारा धन देकर उनको विदा किया  घर पहुच कर ,पहले बनिए के पास जा कर अपना कर्ज चुकाया और अपनी जमीन कर मुक्त कराई, उस रात इस राजपूत जोड़े ने अपनी सुहागरात मनाई
**श्री नाहर सिंह  जी जसोल की किताब से **

Saturday, 6 May 2017

पधारो म्हारे देश 

 

JAISALMER

 स्वर्ण नगरी जैसलमेर

रेत के समंदर में सफारी

मौसम गर्म हो रहा है। गर्म हो रही है थार के रेगिस्तान की रेत भी। लेकिन थार के पर्यटन वातावरण में गरमी हाल ही में एक और घटना से आई- और वह थी पहली डेजर्ट सफारी का उद्घाटन। यह हुआ जैसलमेर से 30 किलोमीटर दूर सम में। राजस्थान सरकार और राजस्थान पर्यटन की मदद से दुबई के लामा ग्रुप ने इस डेजर्ट सफारी की शुरुआत की है।
 
जैसलमेर रेगिस्तान तो है लेकिन शहर के आसपास आपको रेत के टीले उस तरह से नहीं मिलेंगे, जैसे आप फोटो या फिल्मों में देखते हैं। रेत का वह समुद्र देखने के लिए आपको जैसलमेर से 42 किलोमीटर दूर सम जाना पडेगा। सम सैंड ड्यून्स के लिए मशहूर हैं। यहां का अनुभव वाकई बिरला होता है। वैसा ही जैसे कोई दार्जीलिंग जाकर अलस्सुबह सूर्योदय देखने के लिए टाइगर हिल की ओर दौड पडता है या कन्याकुमारी में समुद्र में डूबते सूरज देखने को देखने के लिए जनसमुद्र उमड पडता है। सम सैलानी रेत में पिघलते सूरज को देखने के लिए जाते हैं। रेत का यही आकर्षण है कि अब कई होटल व रिजॉर्ट सम के आसपास बन गए हैं। लामा टूर्स एंड क्रूज प्राइवेट लिमिटेड की डेजर्ट सफारी ऐसे ही सम पर होती है। जैसलमेर से रवाना होकर सफारी सम के रेत टीलों के ठीक मुहाने पर पहुंचकर विराम लेती है- जीपों के टायरों की हवा कम करने के लिए।
 
लामा हैरिटेज विलेज
सफारी का असली अनुभव यहीं से शुरू होता है जब सम के सुनहरे टीलों पर आपकी जीप चढाइयां चढती और उतरती है। इसी सफर के बाद आप टीलों के बीचों-बीच स्थित लामा हैरिटेज विलेज में पहुंचते हैं। यहां बीचों-बीच का आशय रेगिस्तान के बीचों-बीच से कतई नहीं है क्योंकि सम से तो दरअसल थार के रेगिस्तान का अनंत विस्तार शुरू होता है। हां, लामा हैरिटेज विलेज उसका अहसास जरूर देता है क्योंकि वहां जहां भी आप नजर दौडाएं, रेत ही रेत नजर आती है। यह अनुभव वाकई अद्भुत होता है। उस पर अगर शाम को चांदनी छाई हो तो उसका सुरूर ही अलग होता है। वैसे लामा हैरिटेज विलेज में पहुंचने के बाद ऊंट की सवारी कर सकते हैं (रेगिस्तान में आकर उसका अनुभव न किया तो कोई फायदा नहीं), हुक्का आजमा सकते हैं या केवल राजस्थानी पोशाकें पहनकर फोटो खिंचा सकते हैं। अंधेरा गहराने लगे तो रावणहत्था की मदमस्त तानों और कालबेलिया नाच के बीच खालिस राजस्थानी खाने के स्वाद.. वाह, क्या बात है।
 
कुछ खास बातें
लामा की डेजर्ट सफारी में फिलहाल रात काटने की सुविधा नहीं है। लेकिन दो तरह की सफारी उपलब्ध हैं- डे सफारी जो सवेरे 9 बजे से 12 बजे तक होती है और ड्यून डिनर सफारी जो दोपहर साढे तीन बजे से लेकर रात साढे नौ बजे तक होती है। दिन की सफारी का किराया बडों के लिए ढाई हजार रुपये और बच्चों (3-10 साल) के लिए डेढ हजार रुपये है। वहीं शाम की सफारी में बडों का किराया साढे तीन हजार रुपये और बच्चों का ढाई हजार रुपये है। सफारी यूं तो जीपों पर होगी, लेकिन आप थोडा एडवेंचर करना चाहें तो क्वाड बाइक लेकर रेत पर बाइकिंग भी कर सकते हैं। रेगिस्तान का मजा लेने के लिए जैसलमेर जाने वाले देशी-विदेशी सैलानियों की कोई कमी नहीं। लेकिन डेजर्ट सफारी रेगिस्तान के रोमांच को एक नया आयाम जरूर देगी। अभी तो समूचे उत्तर भारत में गरमी तेजी पकड रही है, लिहाजा रेत में तपिश होगी। लेकिन अगले सीजन में इसे आजमाइएगा जरूर।

 

                          आपणां बडेरा ------------------- आला बंचता नीं आप सुं सूखा कोई रा बाप सुं बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप स...