Friday, 28 July 2017

म्हारे जैसलमेर री शान






केसरीसिंह सूर्यवंशी की वाॅल से
जय जैसाण 👇👇👇


दो इंच की भैंस के चमड़े की रस्सी, जो 300फीट गहरे कुँए से पानी निकालने के काम आती थी, जिसे #बरत कहा जाता है को घुटनों पर लपेट कर तोड़ दिया।
स्वर्णमुद्रा को चुटकी से मसल कर चार इंच लम्बी पतरी में बदल दिया।
एक 20 किलो का बकरा अकेला ही एक समय के भोजन में खा गया।
आठ किलो गेहूँ आटा की रोटी खा कर कुछ और भी माँग रहा है।
30 बाजरी की रोटियां, जिनका वजन करीब 4किलो होगा.... एक समय की खुराक है और दिन में दो बार भोजन करते है।
20फीट ऊँची खेजड़ी को जड़ सहित उखाड़ लिया और नगर के मुख्यद्वार के सामने लाकर पटक दिया।
20व्यक्ति मिलकर भी पिटाई नहीँ कर सके। उसने पास के एक पेड़ को उखाड़ा और सबको पीट कर भगा दिया।
एक बार 12 व्यक्ति मिलकर घास काटने के लिए जंगल गए।रात को पहुँचे थे। तय हुआ कि अभी सो जाते है और सुबह उठकर काम में लगेंगे। किन्तु उन्होंने सुबह का भोजन रात को ही बनाकर रख दिया। आधी रात को एक व्यक्ति उठा, और सारा भोजन खा कर पूरे घास को काटकर वापिस सो गया।
एक आदमी ने रात को चलना शुरू किया। रास्ता भटक गया। सुबह वह अपने स्थान से 70किमी दूर था।
एक आदमी 250 ग्राम अफीम चट कर गया और मजे से घूम रहा था ।
एक आदमी ने इंग्लिश की 5 बोतलें खाली की और आराम से गाड़ी चलाकर घर पहुंचा।
एक बारात में एक लड़के ने 40बोतल बीयर पी ली...!
इनमें से एक भी बात गलत नहीँ है।
कुछ का तो मै प्रत्यक्षदर्शी भी हूँ। कोई अतिशयोक्ति नहीँ........बल्कि डरते डरते आंकड़ों में काट छांट कर कुछ कम ही लिखने का प्रयास किया है।
यदि इस प्रकार के लोगों से आपको साक्षात् करना है.....तो #जैसलमेर के देहात में जाइये।
और हाँ....एक ही मुक्के से खतरनाक युवा ऊँट को गिराने वाले अभी बहुत से मौजूद है।
इसलिए......इस अविश्वास का कोई कारण नहीँ बनता कि महाराणा प्रताप ने एक ही झटके से अश्वसहित सवार को बीच में से चीर दिया था।
#जय_जैसाण

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