विशुद्ध प्रेम 
'हरी व्यापक सर्वत्र समाना ।
प्रेम से प्रकट होई मैं जाना ।।'
'प्रेम परिचय को पहचान बना देता है,
प्रेम वीराने को गुलिस्तान बना देता है ।
मैं आप बीती कहता हूँ - गैरों की नहीं,
प्रेम इन्सान को भगवान बना देता है ।।'
आपणां बडेरा ------------------- आला बंचता नीं आप सुं सूखा कोई रा बाप सुं बडेरां रो काम चालतो अंगूठा री छाप स...
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